पहले पहल हर वक्त माँ को,
अपने आस-पास ही पाने की जद्दोजहद।
फिर माँ के आँचल से छूटकर,
कहीं बाहर भाग कर जाने की जद्दोजहद।
फिर कांधे पर बस्ता लादकर,
पढ़ाई के बोझ से पार पाने की जद्दोजहद।
उठाकर पिता की उम्मीदों का बोझ,
उनपर खरा उतरके दिखाने की जद्दोजहद।
फिर लेकर कई सारी जिम्मेदारियां,
लगी रहती है कमाने-धमाने की जद्दोजहद।
फिर ढलने की ओर बढ़ती उम्र में,
नई पीढ़ी को लायक बनाने की जद्दोजहद।
अंततः उम्र के अंतिम पड़ाव पर,
उपेक्षाओं से बचे रह जाने की जद्दोजहद।
"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं. बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेंगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है"
शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022
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"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"
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