एक शीशमहल में चिरनिद्रा में।
देख रहा था स्वप्न वो।
सीधी और सुंदर राह में,
पंक्तिबद्ध खड़े वृक्षों को।
हर डाल पर बैठे पंछियों को।
उनके सुनहरे पँखो को।
फिर नींद टूटी,आँख खुली।
हो गया हर दृश्य अगोचर।
फेरी दृष्टि चारो ओर,
हर शीशे में कुछ प्रतिकृतियां थी।
हर ओर फैला था दृश्य विकट।
कहीं आँखों से बरसता पानी था।
कहीं सहमा सा कोई बचपन था।
कहीं रंजो,नफरतों के मेले थे।
कुछ शोषित खड़े अकेले थे।
कहीं गिद्ध सी कुछ आंखे थी।
कहीं असहज सी कई राते थी।
कहीं पाखंड का कारोबार था।
कहीं धर्म का व्यापार था।
कहीं राजनीति खिलखिला रही थी।
कहीं मानवता तन्हा खड़ी थी।"
तभी मोबाइल में किसी का फोन आया
और रिंगटोन बज उठी -
"जहाँ डाल डाल पर सोने की
चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा'
- अविनाश कुमार तिवारी
बहुत सुंदर❤️
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद भाई
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