जब तुम्हारे भाव-आडंबरों के मध्य छिपा
मूल भाव ढूंढ लूँगा।
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
जब तुम्हारी हँसी के
नैसर्गिक और दिखावटी स्वरूप में
अंतर कर लूँगा।
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
जब तुम्हारे रूखे शब्दों के आवरण में सांस लेते
प्रेमांकुरों की पुष्टि करने लगूँगा।
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
जब शब्दों से परे होकर
बातें करने लगूँगा तुम्हारी भाव भंगिमाओं से
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
क्योंकि,
किसी के मूल अस्तित्व से
जुड़ जाने में ही तो
प्रेम की परिणीति है।
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
जब तुम्हारी हँसी के
नैसर्गिक और दिखावटी स्वरूप में
अंतर कर लूँगा।
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
जब तुम्हारे रूखे शब्दों के आवरण में सांस लेते
प्रेमांकुरों की पुष्टि करने लगूँगा।
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
जब शब्दों से परे होकर
बातें करने लगूँगा तुम्हारी भाव भंगिमाओं से
तब समझूँगा की प्रेम की परिणीति हुई।
क्योंकि,
किसी के मूल अस्तित्व से
जुड़ जाने में ही तो
प्रेम की परिणीति है।
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