होता तृण मात्र सा मै।
हवाओं में उड़ता,
नियंत्रित होता उनके वेग से।
फिर कोई चिड़िया,
चोंच में दबाकर ले जाती।
बना देती हिस्सा अपने घोंसले का।
बनता मै।
अंडों के फूटने,
बच्चो के पलने,
बड़े होने।
फिर उड़ कर अन्यत्र चले जाने की।
पूरी प्रक्रिया का दर्शी।
उजड़ जाता घोंसला
फिर समय के साथ।
और बिखर जाता मैं
किसी पेड़ के पास।
फिर दब कर
समय दर समय मिट्टी में।
चला जाता गहराई में।
बन जाता फिर
जीवाश्म का कोई अशेष। 💙
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