"जब पहली मूर्ति बिकी होगी,
कभी,कहीं,किसी समय पर।
तब हुआ होगा प्रथम साक्षात्कार,
आस्था का दोहरेपन से।
अभौतिक आध्यात्मिकता की
पथदर्शी आस्था।
उतरी होगी भौतिक मूर्ति में।
लौकिकता और अलौकिकता,
खड़ी होंगी हाथ थामे,
जुड़वा बहनों की तरह।
धर्म और व्यापार ने
खेली होगी पहली बाजी
एक ही मेज पर।
जब पहली मूर्ति बिकी होगी।"
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