एक धड़ा उन्हें दोष देगा।
एक धड़ा श्रद्धांजलि देगा।
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
शब्दों से लेकर वक्तव्यों तक।
कागजों से लेकर ज़ुबान तक।
अपनत्व से लेकर घृणा तक।
सज्जनता से लेकर धूर्तता तक।
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
मजदूरों के लिए-किसानों के लिए
बनती बिगड़ती सरकारों के लिए।
हठियों के लिए मजबूरों के लिए
कुर्सियों पर मरते हुजूरों के लिए।
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
नेहरू और सुभाष के साथ
भगत और सरदार के साथ
जिन्ना,लूथर और मंडेला के साथ
अम्बेडकर और जयप्रकाश के साथ
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
सबके अपने अलग-अलग गाँधी।
कुछ नाम के कुछ कर्तव्य के गाँधी।
विविध प्रकार के प्रसंगों में गाँधी।
उलझे और सुलझे प्रपंचों में गाँधी।
हर लिहाज से प्रासंगिक हैं गाँधी।
एक धड़ा श्रद्धांजलि देगा।
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
शब्दों से लेकर वक्तव्यों तक।
कागजों से लेकर ज़ुबान तक।
अपनत्व से लेकर घृणा तक।
सज्जनता से लेकर धूर्तता तक।
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
मजदूरों के लिए-किसानों के लिए
बनती बिगड़ती सरकारों के लिए।
हठियों के लिए मजबूरों के लिए
कुर्सियों पर मरते हुजूरों के लिए।
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
नेहरू और सुभाष के साथ
भगत और सरदार के साथ
जिन्ना,लूथर और मंडेला के साथ
अम्बेडकर और जयप्रकाश के साथ
गाँधी प्रासंगिक रहेंगे।
सबके अपने अलग-अलग गाँधी।
कुछ नाम के कुछ कर्तव्य के गाँधी।
विविध प्रकार के प्रसंगों में गाँधी।
उलझे और सुलझे प्रपंचों में गाँधी।
हर लिहाज से प्रासंगिक हैं गाँधी।
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