मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

अंतर्द्वंद्व

मै बेचैनियों की कसक ढूंढ रहा था
कुछ लिखने के लिए।

अपने हालातों से रश्क़ नही था।
किसी और का दर्द ढूंढ रहा था
कुछ लिखने के लिए।

मै उदास नही रह पाता था।
कुछ कड़वे वहम ढूंढ रहा था
कुछ लिखने के लिए।

शब भी सपाट सी बीत जाती थी।
किसी के जाने का गम ढूंढ रहा था
कुछ लिखने के लिए।

मलाल नही होता था कुछ छूट जाने का।
कुछ न मिल पाने का सबब ढूंढ रहा था
कुछ लिखने के लिए।

मेरे मन को छूकर मुझे तन्हा छोड़ जाओ।
किसी से जुदाई के अश्क़ ढूंढ रहा था
कुछ लिखने के लिए। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...