शनिवार, 21 मार्च 2015

खुशियो का एक लम्हा


आओ हम खुशियो का 
एक लम्हा चुरा लेते हैं।  
एक लम्हे को संजोकर 
हम दशको बीता लेंगे।
खिलखिलाता सा 
एक घर बना लेंगे।  
हाथो में हाथ लेकर 
मुस्कराहट से सजा देंगे। 
तुम्हारी हँसी की नीव पर 
वो घर खड़ा होगा। 
नखरों से तुम्हारे खर्चा चलेगा। 
तुम्हारी मासूम शरारते होंगी 
सामान सजावट का।  
छोटी-छोटी खुशियाँ संजोकर 
छू लेंगे आसमान।  
हाँ आओ चलो बसाते है आशियाँ 
देकर साथ एक-दूजे का 
बनाये अपना जहाँ। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...