बुधवार, 11 मार्च 2015

आ रही है जिन्दगी

आ रही है जिन्दगी मेरी ओर
नए एहसासों के साथ।

उमंगो की नई पंखुडियो के
खिलने का आधार लिए।

मन के किसी कोने में दबे थे
कुछ सपने मनचली रातो के
इशारा दे रहा है समय
अब उन्हें सजाने का
कल्पना की सुनहरी रंगीन सी
उड़ान भरने जाने का।
शोर कर रही है हवाएँ अब
उड़ना है आसमान में।

निराशा के हर पल को
ढो रहा था सिद्दत से
के कही से तो आएंगी
किरणे आशाओं की।

हाँ हो सकता है ये
भावनाओं का फेर भी
फिर भी उठ तो रहे है
मुस्कुराहट के पंख अनेक
उल्लास की अमरबेल है
विश्वास के सहारे बढती हुई।
ले के सहारा आत्म-
-विश्वास की लताओं का
शिखर की ओर चढ़ती हुई

हाँ ये मौका है कुछ कर गुजरने का
कर्मठता के मानदंड गढ़ने का।

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