रविवार, 15 मार्च 2015

हवा के परो पर



हवा के परो पर 
आसमानी घरो पर 
होगा अपना ठिकाना। 
मद्धम मद्धम तुम बहना,
मैं सर-सर-सर बलखाउँगा।
हवाई सुरों का राग होगा,
मतवाले गीत मैं गाऊंगा।
होके मगन तुम थिरकते रहना,
मैं मनचली तान सुनाऊंगा।
चारो ओर होगा बस
खुला आसमान।
न किसी की फ़िकर 
न किसी का काम 
बस सुरों से सजी थाल होगी 
खुसियों का खनकता साज होगा।
                    

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