गुरुवार, 19 मार्च 2015

नटखट

हो नटखट तुम,
थोड़े बेखबर से।
खुद में मस्त रहते हो,
दुनिया से अंजान से।
भोले भाले हो,
हो तुम नादान।
अकल के कच्चे हो,
प्यारे बच्चे हो।
तुम्हे रंग अभी खुद में भरना है,
आगे बहुत कुछ करना है
छोड़ना ना  तुम
मीठे सपनो की डोर को
ये ले जाएगी तुम्हे ये
नई एक भोर को।                          

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