सोचता हूँ कई दफे!
जैसे अक्षरों को
बांध के शब्द बना देता हूँ।
फिर शब्दों को
बांधकर वाक्य।
फिर वाक्यों को
मिलाकर ही तो,
अर्थ दे देता हूँ
अपने भावों को।
बस इन्ही अक्षरों की तरह।
बांधना चाहता हूँ उसे भी,
एक सूत्र में मेरे साथ।
मन से मन को जोड़कर,
पाना चाहता हूँ एकत्व को।
एक सूत्र में मेरे साथ।
मन से मन को जोड़कर,
पाना चाहता हूँ एकत्व को।
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