क्या अब कोई तथागत बन सकता है?
क्या आ सकते हैं आदि शंकराचार्य?
नही होगा अब कोई रामानंद!
नही होगा अब कोई कबीर।
नही मिलेगा अब कोई परमहंस,
नही बनेगा कोई बालक नरेन्द्र,
अब विवेकान्द।
आया तो बंट जाएगा हर कोई,
भगवा,नीले,हरे और लाल रंगों में।
बंध जाएँगे विचार अब,
इन समूहों की परिधि में।
क्या आ सकते हैं आदि शंकराचार्य?
नही होगा अब कोई रामानंद!
नही होगा अब कोई कबीर।
नही मिलेगा अब कोई परमहंस,
नही बनेगा कोई बालक नरेन्द्र,
अब विवेकान्द।
आया तो बंट जाएगा हर कोई,
भगवा,नीले,हरे और लाल रंगों में।
बंध जाएँगे विचार अब,
इन समूहों की परिधि में।
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