मेरी उलझने तुम सम्हाल लो
तुम्हारी व्यथाएँ मेरी हो जाएँ।
तुम्हारी व्यथाएँ मेरी हो जाएँ।
धड़कने,साँसे,रुदन,हँसी,
मेरी और तुम्हारी।
आओ बंटवारा कर लें,
इनका भी ऐसे कि,
मेरा हिस्सा तुम रख लो।
तुम्हारा भाग मै माँग लूँ।
फिर सब कुछ,
न पूरा मेरा होगा,
न पूरा तुम्हारा होगा।
परेसानियाँ,चिंताएं,
संवेदनाएं,आशाएँ।
जो भी होंगी सब हमारी होंगी।
फिर बन जाएगी हमारी,
साझी दुनिया।
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