सोमवार, 30 जनवरी 2023

......

नदियों के लिए,

कोई मंथन नही करना पड़ता।

धरा का अमृत,

पर्वतों से फूटकर बहने लगता है।

धरती की ममता

स्त्री की ममता से कहीं विशाल है

कब कोई चलाएगा, 

धरतीवाद का कोई आंदोलन! 💙


- अविनाश कुमार तिवारी

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