सोमवार, 30 जनवरी 2023

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जरूरी है उम्मीदों का मारा जाना

थोड़ा सा सही तुम्हें लताड़ा जाना।


बागों में जो सुंदर फूल खिले थे

तय ही था उनका भी तोड़ा जाना।


बसंत से मोह तो सबने रखा था

रुका कभी नही पतझड़ का आना।


जिससे तुमने मुख मोड़ना चाहा

लगा रहा उम्र भर उसी राह जाना।


जिस ओर तुमने मुड़ मुड़ कर देखा

फिर नही आया वो गुजरा जमाना।


हर पड़ाव तुमने मन से अपनाया

पर रहा कहाँ कहीं ठौर ठिकाना।


- अविनाश कुमार तिवारी 🌻

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