संघर्ष सबके थे,
कहानियाँ उनके संघर्षों की बनीं।
जिन्होंने कोई मुकाम पा लिया।
प्रयास सबके थे,
साख उनके प्रयासों को मिली।
जिन्होंने ने सफलता को पा लिया।
समय कोशिशों से ज्यादा,
उनके परिणाम देखता है।
ये बात धूमिल हो गई थी,
कौन मंजिल के करीब आकर चूका था।
जिसने उसको हासिल किया,
इति श्री बाद में नाम तो उसी का गूंजा था।
मै नही कहता किसी को
"कर्म करो फल की चिंता मत करो"
फल को न चूका जाने वाला लक्ष्य बनाओ
कार्य के परिणाम की बराबर चिंता करो।
- अविनाश कुमार तिवारी
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