छवियों में कितने भाव होते होंगे।
हम छवियों में अधिकतर मुस्कुराते हैं।
ताकि हमारा प्रतिबिंब सुखद सा उभरे।
इन प्रतिबिंबों में हम रोने से बचते हैं!
हम अपने रुदन को बचाकर रखना चाहते हैं।
साथ मे हँसने को हम,
किसी के साथ भी हँस लेते हैं।
साथ मे रोने के लिए विरले ही मिलते हैं।
रुदन हँसी से अधिक मूल्यवान है!
उसे अपने पास
ज्यादा बचाकर कर रखना
जो तुम्हारे साथ रोया हो।
- अविनाश कुमार तिवारी
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