निराश नही हूँ मैं
आज के अँधेरे से
कल आने वाली रौशनी
मुझे उत्सास देती है
हाँ चल रहा हूँ अभी
कच्ची पगडंडियों पर
सहमे कदमो से
कल पक्की सड़क पर
दौड़ने की आशा लिए
हाँ आज तपती धुप में रह लूँगा
कुदरत के आछेप सह लूँगा
जियूँगा रौब से
ये एहसास लिये
कल एक आशियाना होगा
सिर छुपाने को
हाँ अभी मोहताज हूँ
छोटी छोटी खुशियों का
हाँ कल में भी खुशियाँ बाटूंगा
नही हैं अभी कोई चाहत
शोहरत की शौकत की
हाँ कल मैं राहत चाहूँगा
बिन रोक टोक बिन खट पट के
फिरूंगा मन का साज लिए।
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