आओ हम खुशियो का
एक लम्हा चुरा लेते हैं।
एक लम्हे को संजोकर
हम दशको बीता लेंगे।
खिलखिलाता सा
एक घर बना लेंगे।
हाथो में हाथ लेकर
मुस्कराहट से सजा देंगे।
तुम्हारी हँसी की नीव पर
वो घर खड़ा होगा।
नखरों से तुम्हारे खर्चा चलेगा।
तुम्हारी मासूम शरारते होंगी
सामान सजावट का।
छोटी-छोटी खुशियाँ संजोकर
छू लेंगे आसमान।
हाँ आओ चलो बसाते है आशियाँ
देकर साथ एक-दूजे का
बनाये अपना जहाँ।
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