गेंहू की बालियों में,
चमक रही थी आँखे तेरी
पक रही थी फसल मेरी चाहत की।
बोया था एक-एक बीज
रूहानी जज्बातों से,
सींचा था हर एक क्यारी को
अंतर्मन की जलधारा से।
वादियों के दामन में
महसूस किया तेरी खुशबू को
जहा हर फूल उपजा था
दिल के आधारतल से।
हाँ पाला है हर एक पौधे को
आत्मीय संवेदना से।
लाया था मिटटी मै
दिल की गहराइयो से।
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