ये कश्मीरी रोटी बड़ी पौष्टिक है भैया।
जादू भी निराला है इस रोटी का , न तो शरहदें रोक पाती है इसको न ही कोई और बाधा इसको बांध पाई है। बराबर पोषण प्रदान करती है। विटामिन P और विटामिन M तो प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है इससे तो भैया आप जब सुन लो हिंदुस्तानी हो या पाकिस्तानी
अगर बच्चे को स्वस्थ रखना है तो कश्मीरी रोटी जरूर खिलाना। इससे विटामिन P बोले तो politics का तत्व भरपूर मिलेगा और विटामिन M बोले तो money का तत्व भी मिलेगा। फिर क्या पीढ़ी दर पीढ़ी सब चाव से खाना कश्मीर की रोटी। रही बात आटा, तवा और चूल्हे की तो उसके लिए कश्मीर का आम नागरिक है न जलने-भुजने को लेकिन आपको रोटी बराबर और स्वादिष्ट मिलेगी।
"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं. बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेंगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है"
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016
कश्मीरी रोटी
शनिवार, 13 अगस्त 2016
स्वतंत्रता
जहाँ कण-कण में विद्यमान एकता हो,
बनु मै हिस्सा उस भारत का,
जहाँ जर्रे-जर्रे में स्वतंत्रता हो।
जहाँ न जात-पात का बंधन हो,
जहाँ न ऊँच -नीच का संस्तरण हो,
बनु मै हिस्सा उस भारत का,
जहाँ फक्र से उठा हुआ हर सर हो।
जहाँ न वैश्मन्य का कोई अंश हो,
मानवता से ओत -प्रोत हर तंत्र हो,
बनु मै हिस्सा उस भारत का,
जहाँ प्रेम से भरा सभी का मन हो।
मै स्वार्थ से दूर हो जाऊँ,
अभिमान से विलग हो जाऊँ,
बनु मै हिस्सा उस भारत का
जहाँ दया और विवेक का वास हो।
जब इन बातो को पा जाऊँगा,
तब मैं स्वतंत्र कहलाऊंगा,
मायने क्या है स्वतंत्रता के,
तब दुनिया को बतलाऊंगा। "
मंगलवार, 5 जुलाई 2016
स्वमेव
"बह जाऊ कहीं,
उड़ जाऊ कहीं,
ना किसी का जिक्र,
ना किसी की फ़िक्र,
कहना भी मेरा हो,
सुनना भी मुझको हो,
ना किसी से कुछ चाहत हो,
ना किसी की आदत हो,
बस खुद से उम्मीदे,
टूटना भी खुद से हो,
रूठना भी खुद से हो,
बस जो हो मेरा हो,
सिर्फ मेरा हो,
दुनिया से ना कुछ लेना हो,
दुनिया को ना कुछ देना हो,
मुझ संग राते मेरा ही सवेरा हो।"
शनिवार, 25 जून 2016
शीर्षक रहित
"कुछ को मिल गए,
कुछ को मिलने बाकि है,
भावनाएं बहूत सी हैं
कतार में,
बाँट जोह रही शब्दों की।"
रविवार, 12 जून 2016
स्वयं की तलाश
कुछ गहरा
कुछ अप्रत्याशित सा
अभी खुद से हु
अंजान जरा।
कभी पोखर सा हु
बंधा हुआ,
कभी सागर सा अथाह हु मैं।
कभी उजला हु सबेरे सा,
कभी अंधला हु अँधेरे सा।
है असीमित इक्षाए भी,
है जज्बा भी अनंत सा,
चाह भी है असंभव की
कोसिस भी है हर सम्भव की।"
गुरुवार, 2 जून 2016
देवता और शैतान
"देवता और शैतान दोनों
अंतर्मन में समाहित हैं|
एक नैतिकता का
पथदृष्टा है,
दूजा अनीति का
सहवृत्ता है।
ऊर्जा दोनों से
प्रचुर है,
साधन दोनों के अपूर्व है।
एक चरित्र का निर्माण है,
दूजा पतन का आगाज है।
चुनाव स्वंय के हाथ है,
के अब हम
सुनीति के साथ है
या अनीति के सम-भाग हैं।"
"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"
तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...
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एक शीशमहल में चिरनिद्रा में। देख रहा था स्वप्न वो। सीधी और सुंदर राह में, पंक्तिबद्ध खड़े वृक्षों को। हर डाल पर बैठे पंछियों को। उनके सुनहरे ...
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(पीड़ाएँ ) पीड़ाएँ कभी लुप्त नही होतीं उनकी अनदेखी कर दी जाती है। * (वेदनाएँ) वेदनाएँ कभी मृत नही होतीं हमारे आँसू संकीर्ण हो जाते हैं। ** (सं...
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तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...