तुम श्वेताभ सी होकर आना।
किंतु मैं तुम्हे पाऊँगा,
बहुरंगिनी सी।
मैं करूँगा संवाद,
तुम्हारी आत्मा के ढंगो से।
तुम्हारे सादे आँसुओं में।
रंग-बिरंगी तितलियों से,
स्वप्न रंगों को टटोलूँगा।
मैं करूँगा प्रयत्न समझने का,
भावुक होकर कही गईं
,तुम्हारी बातों के पीछे छिपे
मूल अर्थों को।
मैं नही बनाऊंगा
तुम्हारे सम्बंध में कोई पूर्वधारणा
मै सोचूँगा स्वयं को
तुम्हारे स्थान पर रखकर।
"तुम्हारे गुणों से पूर्व
मैं बनूँगा तुम्हारे दोषों का प्रेमी।"
बहुत सुंदर♥️
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