मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

उदासियाँ


आदतन ख़ुश रहता हूँ मैं
उदास नज़्मों के पीछे से झाँकते
मुस्कुराते हुए चेहरों को ढूंढ़ता हूँ।
उदासी तो मुस्कान की ही
कोई रूठी सहेली होगी।
उसे मनाने के तरीके सोचता हूँ।

मेरे सपनों में,
सूख चुकी जमीन की दरारों से
कोई बेल निकल आती है,
जो खड़ी करती है
श्वेत पुष्पों की पंक्तियाँ।
और उन पुष्पों के रस को चखने,
आता है रंगीन तितलियों का जत्था।

उदासी के पास भी बहुत से रंग होंगे।
जिनमें शायद सबसे उदास रंग ही,
हँसता हुआ नजर आता होगा।

वो बेनाम उदासियाँ जो
हँसी में परिवर्तित हो जाती हैं।
मैं उनसे ही उनकी
कहानियां सुनना चाहता हूँ।

मैं सोचता हूँ कि
वो उदासियाँ ही तो होंगी।
जो करती होंगी,
सबके खुश रहने की प्रार्थना।

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