शुक्रवार, 13 मार्च 2020

खुला चारागाह

एक खुला चारागाह था वो। 
जानवरो के कूछ झुंड पहले से वहीं थे।
कुछ भोजन की तलाश में आते गए। 
कुछ सिमट कर रह गए। 
कुछ तादाद बढ़ाते गए। 
कुछ वापस चले गए। 
कुछ ने खुद को बदल लिया।
दावा सब कर रहे थे, 
फसलों का,मैदानों का,
जंगलो का,पहाड़ों का,नदियों का। 
खुला चारागाह है वो।
जो किसी की जागीर नही होता। 
जानवरों के सारे झुंड,
संघर्ष करें या सहयोग करें।
उसी चारागाह में रहना है। 
वो लड़ें-झगड़े या मित्रवत रहें।
खेल चलता रहेगा चूहे बिल्ली का।
जो जीतेगा वो भोगेगा।
जो हारेगा वो ताकेगा। 
मौका सबका आएगा।

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