(पीड़ाएँ )
पीड़ाएँ कभी लुप्त नही होतीं
उनकी अनदेखी कर दी जाती है।
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(वेदनाएँ)
वेदनाएँ कभी मृत नही होतीं
हमारे आँसू संकीर्ण हो जाते हैं।
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(संभावनाएं)
"वहाँ सब संभव है,
जहाँ सच्चे भाव होते हैं।
जहाँ प्रयत्न सीमित हो,
वहीं आभाव होते हैं।"
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(निवारण)
"पीड़ाएँ,अभिव्यक्ति से अधिक
निवारण की राह तकतीं हैं।"
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- अविनाश कुमार तिवारी
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