"रोहन आज माँ को लेने वृद्धाश्रम गया है उसके सीनियर अधिकारी आने वाले है मदर्स डे पर उनके घर लंच पर रोहन जा ही रहा था तभी उसकी पत्नी उससे कहती है सुनो साम को ही माँ जी को वापस वृद्धाश्रम छोड़ कर आ जाना कल मेरी कॉलेज फ्रेंड आ रही कल यही रुकेगी माँ जी और वो दोनों एकसाथ यहाँ एडजस्ट नही हो पाएंगी तभी रोहन के सिनियर का फोन आता है की उनकी माँ की अचानक तबियत ख़राब हो गयी वो उनका आना केंसल तभी दोनों गहरी साँस लेते है पत्नी कहती है चलो अब माँ जी को यहाँ लाना नही पड़ेगा
"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं. बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेंगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है"
सोमवार, 11 मई 2015
मदर्स डे
"रोहन आज माँ को लेने वृद्धाश्रम गया है उसके सीनियर अधिकारी आने वाले है मदर्स डे पर उनके घर लंच पर रोहन जा ही रहा था तभी उसकी पत्नी उससे कहती है सुनो साम को ही माँ जी को वापस वृद्धाश्रम छोड़ कर आ जाना कल मेरी कॉलेज फ्रेंड आ रही कल यही रुकेगी माँ जी और वो दोनों एकसाथ यहाँ एडजस्ट नही हो पाएंगी तभी रोहन के सिनियर का फोन आता है की उनकी माँ की अचानक तबियत ख़राब हो गयी वो उनका आना केंसल तभी दोनों गहरी साँस लेते है पत्नी कहती है चलो अब माँ जी को यहाँ लाना नही पड़ेगा
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