शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

(पीड़ाएँ )
पीड़ाएँ कभी लुप्त नही होतीं
उनकी अनदेखी कर दी जाती है।
*
(वेदनाएँ)
वेदनाएँ कभी मृत नही होतीं
हमारे आँसू संकीर्ण हो जाते हैं।
**
(संभावनाएं)
"वहाँ सब संभव है,
जहाँ सच्चे भाव होते हैं।
जहाँ प्रयत्न सीमित हो,
वहीं आभाव होते हैं।"
***
(निवारण)
"पीड़ाएँ,अभिव्यक्ति से अधिक
निवारण की राह तकतीं हैं।"
****

- अविनाश कुमार तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...