शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

कौन है तू

कौन है तू जो मुझमें बसता है,
मेरी भावनाओ को टटोलकर 
ना जाने क्या कहता है।
बेरुखी में भी तू 
वफ़ा के रंग भरता है।
में कहता हूँ छोड़ दे,
ये वहम का बंधन थोड़ दे।
ना जाने क्यों तू 
शांत सा रहता है।
थामे रख तू डोर 
मुझसे हरपल कहता है।
मैं पर्दा डालता हूँ दिल पे,
तू उठा देता है।
मैं सम्हालता हूँ दिल को 
तू लूटा देता है।
में रोकता हूँ ये कदम 
तू बहका देता है।
में बांधता हूँ भावनाओ को 
तू जता देता है।
में मिलना चाहता हूँ सागर से 
तू राह मोड़ देता है।
में भागता हूँ मंजिल की ओर 
तू साथ छोड़ देता है।
तेरा होना मेरी राह की बाधा है ,
पर लगता है तेरा बिना सब आधा है।
हैं मुझमें ही तू मेरा हिस्सा है ,
औरों को क्या कहूँ 
ये मर्ज तो खुद का है। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...