शब्दधारा किसी हृदय से बह निकले
फिर कई हृदयों को छूकर सींच दे।
एक नदी कहीं से प्रवाहमान हो
कई जलधियों में हलचल कर दे।
एक करुण पुकार कहीं पर गूँजे
कई पत्थरों को कोमल कर दे।
एक फूल कहीं पर खिले
कई कंटको को नर्म कर दे।
एक आराधना कहीं कोई बांचे
कई भवनों को पावन कर दे।
एक कविता किसी मन से निकले
कई कल्पनाओं को अभिव्यक्ति दे।
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【अविनाश कुमार तिवारी 】