गहराइयां नापनी हो गर अपनी
तो बना लो तन्हाइयों को अपना।
बन्द आंखों से मत देखो सपना,
भर लो उजालों से घर अपना।
तारे मत गिनो आसमान के,
समेट लो जुगनुओं का कोई जत्था।
राह मत देखो किसी और कि,
रमा लो खुद ही में मन अपना।
उदासियाँ तो लाज़िमी हैं,
रहे उनसे ज्यादा घना ख़ुशियों का गुच्छा।
दिन में तो सब रौशन हैं,
तुम अंधली रातों में भी जलना।
मत डालना किसी पर भार रिश्ते का
राह में जो भी मिले मान लेना उसे ही अपना।
शिकायतें किसी से,फरेब हैं खुद से,
देखो कौन समझता है बिन कहे हाल मन का।
न हो जब कोई देखने वाला,
पूछ लेना खुद से ही हाल अपना।
चुभ जाए गर बात कभी कोई,
बढ़ जाना आगे मन मे मत रखना।
🍁【अविनाश कुमार तिवारी】
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