सोमवार, 10 दिसंबर 2018

तर्पण

आज तुम्हारा तर्पण है!
तर्पण अधूरे वादों का,तर्पण टूटे धागों का।
तर्पण बीती बातों का,तर्पण उनींदी रातों का।

तर्पण मेरे-तुम्हारे बीच के "हम" का।
तर्पण धीरे-धीरे उपजे प्यार के हिस्सों का है।
तर्पण रोज-रोज की तकरार के किस्सों का है।

कर दूँ तर्पण।
कर दूँ अर्पण तुमको जो तुम्हारा था।
रख लूँ  वो सब जो मेरा था।
कर दूँ विसर्जित वो सब जो हमारा था।

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