अकेली उड़ान देखी है तुमने?
हाँ देखा है अकेले उड़ते लेकिन अक्सर बड़े पंछियों को।
छोटे-छोटे पंछियों को अक्सर देखा है मैंने भीड़ के साथ उड़ते हुए!
इसी तरह मनुष्य भी तो समाज के इतर नहीं जा पाता है।
वो डरता है समहू से दूर होने से।
वो डरता है उन चीजो को करने से जो सब नहीं करते।
न जाने कितनी आकांक्षाओं को वो दबा लेता है,अंतर में ही क्योंकि वो डरता समाज से हट कर कुछ करने से।
लेकिन इतिहास लिखने के लिए अक्सर करना पड़ता है कुछ अस्वाभाविक, तोडना पड़ता है वर्जनाओ को।
वो डरता है समहू से दूर होने से।
वो डरता है उन चीजो को करने से जो सब नहीं करते।
न जाने कितनी आकांक्षाओं को वो दबा लेता है,अंतर में ही क्योंकि वो डरता समाज से हट कर कुछ करने से।
लेकिन इतिहास लिखने के लिए अक्सर करना पड़ता है कुछ अस्वाभाविक, तोडना पड़ता है वर्जनाओ को।
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