ज्यादा मुश्किल नहीं अलग होना!
बस कुछ छोटी छोटी बातें हैं।
बस ये कार तुम्हारे नाम पर है,जिसके लोन की कुछ किस्ते पटानी अभी बाकि है। ये घर भी तो तुम्हारे नाम पर लिया है मैंने जिसका लोन मै हर महीने चुकाता हूँ। बच्चो को स्कूल मै छोड़कर आ जाता हूँ घर तुम ले आती हो।
तुम्हारे आने के बाद घर का बना खाना भी मुझे मिल जाता है,सेहत भी अच्छी रहती है। तुम्हारे लिए ही एलआईसी की पॉलिसी भी करवा के रखी है मैंने। अब ऐसी कोई और खोजने में क्यों इतनी मेहनत करूँ पता नहीं मिलेगी भी की नहीं।
हाँ छोटी छोटी बाते ही तो हैं कुछ।
तुमसे मिलने के बाद ही तो मै नखरे करना सीख गई नहीं तो कौन मेरी छोटी छोटी फरमाईशों पर ध्यान देता।
जब घर में बोर होती हूँ तो तुमसे फोन पर लड़ के बोरियत दूर हो जाती है। तुमने ही तो मुझे बताया की हाउसवाइफ के लिए भी हप्ते में एकदिन छुट्टी का दिन होता है जब तुम घर के सारे काम पुरे कर देते हो। तुम नही होते तो कौन सुनता मेरी बेमतलब की बातों को। कौन मेरी तारीफ करके मुझे खुश करता। कौन होता है जिसके साथ मै सुरक्षित मससूस करती। अब मेरी उम्र के 35 साल बीत जाने के बाद ऐसा दूसरा कोई कहाँ मिलेगा।
अच्छा सुनो थोड़ी बहुत लड़ाई कर लेंगे छोटी मोटी बातों को भूल जाएँगे। पर साथ में ही रहते हैं। हाँ सही बोल रहे हो तुम।
बस कुछ छोटी छोटी बातें हैं।
बस ये कार तुम्हारे नाम पर है,जिसके लोन की कुछ किस्ते पटानी अभी बाकि है। ये घर भी तो तुम्हारे नाम पर लिया है मैंने जिसका लोन मै हर महीने चुकाता हूँ। बच्चो को स्कूल मै छोड़कर आ जाता हूँ घर तुम ले आती हो।
तुम्हारे आने के बाद घर का बना खाना भी मुझे मिल जाता है,सेहत भी अच्छी रहती है। तुम्हारे लिए ही एलआईसी की पॉलिसी भी करवा के रखी है मैंने। अब ऐसी कोई और खोजने में क्यों इतनी मेहनत करूँ पता नहीं मिलेगी भी की नहीं।
हाँ छोटी छोटी बाते ही तो हैं कुछ।
तुमसे मिलने के बाद ही तो मै नखरे करना सीख गई नहीं तो कौन मेरी छोटी छोटी फरमाईशों पर ध्यान देता।
जब घर में बोर होती हूँ तो तुमसे फोन पर लड़ के बोरियत दूर हो जाती है। तुमने ही तो मुझे बताया की हाउसवाइफ के लिए भी हप्ते में एकदिन छुट्टी का दिन होता है जब तुम घर के सारे काम पुरे कर देते हो। तुम नही होते तो कौन सुनता मेरी बेमतलब की बातों को। कौन मेरी तारीफ करके मुझे खुश करता। कौन होता है जिसके साथ मै सुरक्षित मससूस करती। अब मेरी उम्र के 35 साल बीत जाने के बाद ऐसा दूसरा कोई कहाँ मिलेगा।
अच्छा सुनो थोड़ी बहुत लड़ाई कर लेंगे छोटी मोटी बातों को भूल जाएँगे। पर साथ में ही रहते हैं। हाँ सही बोल रहे हो तुम।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें