शुक्रवार, 15 जून 2018

उड़ जाएगा हंस अकेला

अकेली उड़ान देखी है तुमने?
हाँ देखा है अकेले उड़ते लेकिन अक्सर बड़े पंछियों को।
छोटे-छोटे पंछियों को अक्सर देखा है मैंने भीड़ के साथ उड़ते हुए!
इसी तरह मनुष्य भी तो समाज के इतर नहीं जा पाता है।
वो डरता है समहू से दूर होने से।
वो डरता है उन चीजो को करने से जो सब नहीं करते। 
न जाने कितनी आकांक्षाओं को वो दबा लेता है,अंतर में ही क्योंकि वो डरता समाज से हट कर कुछ करने से।
लेकिन इतिहास लिखने के लिए अक्सर करना पड़ता है कुछ अस्वाभाविक, तोडना पड़ता है वर्जनाओ को।

ज्यादा मुश्किल नहीं है अलग होना!

ज्यादा मुश्किल नहीं अलग होना!

बस कुछ छोटी छोटी बातें हैं।
बस ये कार तुम्हारे नाम पर है,जिसके लोन की कुछ किस्ते पटानी अभी बाकि है। ये घर भी तो तुम्हारे नाम पर लिया है मैंने जिसका लोन मै हर महीने चुकाता हूँ। बच्चो को स्कूल मै छोड़कर आ जाता हूँ घर तुम ले आती हो।
तुम्हारे आने के बाद घर का बना खाना भी मुझे मिल जाता है,सेहत भी अच्छी रहती है। तुम्हारे लिए ही  एलआईसी की पॉलिसी भी करवा के रखी है मैंने। अब ऐसी कोई और खोजने में क्यों इतनी मेहनत करूँ पता नहीं मिलेगी भी की नहीं।

हाँ छोटी छोटी बाते ही तो हैं कुछ।
तुमसे मिलने के बाद ही तो मै नखरे करना सीख गई नहीं तो कौन मेरी छोटी छोटी फरमाईशों पर ध्यान देता।
जब घर में बोर होती हूँ तो तुमसे फोन पर लड़ के बोरियत दूर हो जाती है। तुमने ही तो मुझे बताया की हाउसवाइफ के लिए भी हप्ते में एकदिन छुट्टी का दिन होता है जब तुम घर के सारे काम पुरे कर देते हो। तुम नही होते तो कौन सुनता मेरी बेमतलब की बातों को। कौन मेरी तारीफ करके मुझे खुश करता। कौन होता है जिसके साथ मै सुरक्षित मससूस करती। अब मेरी  उम्र के 35 साल बीत जाने के बाद ऐसा दूसरा कोई कहाँ मिलेगा।

अच्छा सुनो थोड़ी बहुत लड़ाई कर लेंगे छोटी मोटी बातों को भूल जाएँगे। पर साथ में ही रहते हैं। हाँ सही बोल रहे हो तुम।

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...