मै जीवन को लिखता हूँ,
पल - पल उभरते भावों पर,
स्याही फेरता हूँ।
डुबो दे देता हूँ नीले रंग में,
कटु अनुभवों को।
उकेर देता हूँ कागज पर,
सुनहरे एहसासों को।
बचपन की ,
शरारती यादों को लिखता हूँ।
किशोर मन की,
उलझी हुई बातो को लिखता हूँ।
युवामन के उल्लासपूर्ण,
उन्मादों को लिखता हूँ।
सकुचाती,अनबुझी,
फरियादों को लिखता हूँ।
हाँ मैं मानव मन की,
भावभीनी बातो को लिखता हूँ।
सीखता हु इन अनुभवों से,
और इनकी समझाईस को,
लिखता हूँ।
हाँ मैं उस जीवन को लिखता हूँ,
जिस जीवन की जीता हूँ।
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