उद्योग या विध्वंस,
इसी अंतर्मन में समाहित है,
बिखराव और प्रबंध।
नवसृजन या अपकर्ष,
विफलता या सफलता,
सभी का वाहक है ,
ये अंतर्मन के द्वन्द।
सकारात्मक या नकारात्मक,
उत्साही या हतोत्साही
सभी भावो के प्रभावो का,
उपकर्ता या अपकर्ता है,
ये स्वयं का आत्मद्वन्द।
यही दाता है,प्रदाता है,
यही छीण कर जाता है,
सभी प्राप्तियों का,अभिकर्ता है,
स्वयं का आत्म-प्रबंध।
इसी अंतर्मन में समाहित है,
बिखराव और प्रबंध।
नवसृजन या अपकर्ष,
विफलता या सफलता,
सभी का वाहक है ,
ये अंतर्मन के द्वन्द।
सकारात्मक या नकारात्मक,
उत्साही या हतोत्साही
सभी भावो के प्रभावो का,
उपकर्ता या अपकर्ता है,
ये स्वयं का आत्मद्वन्द।
यही दाता है,प्रदाता है,
यही छीण कर जाता है,
सभी प्राप्तियों का,अभिकर्ता है,
स्वयं का आत्म-प्रबंध।
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