"कुछ को मिल गए,
कुछ को मिलने बाकि है,
भावनाएं बहूत सी हैं
कतार में,
बाँट जोह रही शब्दों की।"
"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं. बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेंगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है"
शनिवार, 25 जून 2016
शीर्षक रहित
रविवार, 12 जून 2016
स्वयं की तलाश
कुछ गहरा
कुछ अप्रत्याशित सा
अभी खुद से हु
अंजान जरा।
कभी पोखर सा हु
बंधा हुआ,
कभी सागर सा अथाह हु मैं।
कभी उजला हु सबेरे सा,
कभी अंधला हु अँधेरे सा।
है असीमित इक्षाए भी,
है जज्बा भी अनंत सा,
चाह भी है असंभव की
कोसिस भी है हर सम्भव की।"
गुरुवार, 2 जून 2016
देवता और शैतान
"देवता और शैतान दोनों
अंतर्मन में समाहित हैं|
एक नैतिकता का
पथदृष्टा है,
दूजा अनीति का
सहवृत्ता है।
ऊर्जा दोनों से
प्रचुर है,
साधन दोनों के अपूर्व है।
एक चरित्र का निर्माण है,
दूजा पतन का आगाज है।
चुनाव स्वंय के हाथ है,
के अब हम
सुनीति के साथ है
या अनीति के सम-भाग हैं।"
"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"
तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...
-
पतझड़ के सुर्ख मौसम में फूल क्यों खिल रहे हैं शायद तुम आये हो। सूने सूने मन के आंगन में ये खिलखिलाहट कैसी शायद तुम आये हो। गुमसुम सी इस सुब...
-
हर रोज मरता हूँ, हर रोज जीता हूँ। न मैं मर पाया पूरा, मेरा जीना भी रह गया थोड़ा। कुछ तो रह गया अधूरा। जीना भी है, और मरना भी है। ये अवश्यसंभा...
-
अपनी उम्मीदों एक आसमान सबका होता है। वो उम्मीदें कभी रातों में ख्वाबों में ढल जाती हैं .... कभी दिन की बेताबी में उतर जातीं हैं। उम्मीदों ...