बीते हुए लम्हों की और जब देखता हूँ।
अनगिनत यादो की परते उकेरता हूँ।
कुछ साँचे थे जो भर नही पाए।
अनगिनत यादो की परते उकेरता हूँ।
कुछ साँचे थे जो भर नही पाए।
कुछ नाते थे जो फल नही पाए।
कुछ रातें याद करके सिसक जाता हूँ।
कुछ बातें याद करके बिखर जाता हूँ।
कुछ रातें याद करके सिसक जाता हूँ।
कुछ बातें याद करके बिखर जाता हूँ।
कुछ लम्हे थे जो चीख छोड़ गए।
कुछ अपने थे जो सीख छोड़ गए।
कुछ सपने थे जो आज भी उथले हुए हैं।
कुछ हालात थे जो आज भी ठहरे हुए हैं।
कुछ घाव थे जो भर गए थे।
कुछ अपने थे जो सीख छोड़ गए।
कुछ सपने थे जो आज भी उथले हुए हैं।
कुछ हालात थे जो आज भी ठहरे हुए हैं।
कुछ घाव थे जो भर गए थे।
कुछ घाव थे उभर गए थे।
कुछ मनोभाव है जो आज भी खामोश हैं।
कुछ आभाव है जिनमें आज भी शोर है।
कुछ अरमान थे जिनकी कसक आज भी बाकी है
होंगे वो साकार उनकी ललक आज भी बाकि है।
कुछ मनोभाव है जो आज भी खामोश हैं।
कुछ आभाव है जिनमें आज भी शोर है।
कुछ अरमान थे जिनकी कसक आज भी बाकी है
होंगे वो साकार उनकी ललक आज भी बाकि है।
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