बुधवार, 5 दिसंबर 2018

कल्पना ही तो थी

कल्पना ही तो थी!
मेरी-तुम्हारी।
जो ढल गई वास्तविकता में
कोई स्वप्न कल्पना....
कोई चेतन कल्पना....

कल्पना ही थी ब्रह्म की,
जो सृष्टि का सृजन हुआ,

कल्पना ही थी मनु की,
जो प्रलय के बाद
नवउत्थान हुआ।

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