शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

शोर

ना जाने कैसा शोर है
जो मुझमें हर पल रहता है.
अनसुने अनजाने से,
कुछ लफ्ज उपजते रहते है.
नदी की जलधारा से
अनवरत बहते रहे हैं।
कुछ छूट गया है शायद मुझसे,
या कोई रूठा सा है.
ख्वाब तो कभी देखे नहीं मैंने,
फिर ना जाने क्या टूटा सा है।
कुछ लफ्ज कहने है 
कुछ सुनने है,
लफ्जो की ईंटे जोड़कर 
सपने कई बुनने है।
टूट गए हैंं कई रिश्ते 
रूठ गए है कई अपने.
जख्मो को भरना है 
दरख्तो हो सींचना है।
समय की धारा मोड़ कर 
सब मुमकिन करना है। 

भावनाओ के बहाव में
मैं बहता जा रहा हूँ।
मिल रहे है दर्द जो 
बस सहता जा राह हु.
जाने कब कोई आया 
और कैसे चला गया
हाँ कुछ तो है खाली सा,
हार के रह गया 
अब हर लम्हा है 
बस सवाली सा।

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

कौन है तू

कौन है तू जो मुझमें बसता है,
मेरी भावनाओ को टटोलकर 
ना जाने क्या कहता है।
बेरुखी में भी तू 
वफ़ा के रंग भरता है।
में कहता हूँ छोड़ दे,
ये वहम का बंधन थोड़ दे।
ना जाने क्यों तू 
शांत सा रहता है।
थामे रख तू डोर 
मुझसे हरपल कहता है।
मैं पर्दा डालता हूँ दिल पे,
तू उठा देता है।
मैं सम्हालता हूँ दिल को 
तू लूटा देता है।
में रोकता हूँ ये कदम 
तू बहका देता है।
में बांधता हूँ भावनाओ को 
तू जता देता है।
में मिलना चाहता हूँ सागर से 
तू राह मोड़ देता है।
में भागता हूँ मंजिल की ओर 
तू साथ छोड़ देता है।
तेरा होना मेरी राह की बाधा है ,
पर लगता है तेरा बिना सब आधा है।
हैं मुझमें ही तू मेरा हिस्सा है ,
औरों को क्या कहूँ 
ये मर्ज तो खुद का है। 


सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

अंतर्द्वंद

"खुद से खुद का चल रहा द्वन्द है।
 वर्तमान की भावनात्मक पूर्ति,
और भविष्य की मजबूत  जमीन
के बीच प्रतिद्वंद है।

एक ओर जिंदगी के हर छोटे-छोटे पल को,
खुल के जीने की चाह है, 
दूजी ओर जीवन को,
सफल साबित करने की राह है।

जीवन  का एक पलड़ा,
अब की संस्तुष्टि  की ओर  झुका है,
दूसरा,
आने वाले कल के निर्माण पर टिका है।

छणिक चाह और दूरगामी विश्वास की,
मजधार में,
झूल रहा है मन का शहर।

ढूंढ रहा है हर पहर अब,
राहत की लहर।

 एक ओर आत्म संस्तुष्टि है,
 दूसरी ओर खुद को साबित करने की वृत्ति है.
चिंतनीय के मसला,
सही कौन सी मनोदृष्टि है।


सत् पथ  क्या है,
पड़ाव कौन  सा है,
मन सार्थक है,
या मष्तिष्क,
आत्म सत्य है,
या परार्थ,
कशमकश में है,
हरपल।
मै सही है या हम "



"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...