शुक्रवार, 13 मार्च 2020

खुला चारागाह

एक खुला चारागाह था वो। 
जानवरो के कूछ झुंड पहले से वहीं थे।
कुछ भोजन की तलाश में आते गए। 
कुछ सिमट कर रह गए। 
कुछ तादाद बढ़ाते गए। 
कुछ वापस चले गए। 
कुछ ने खुद को बदल लिया।
दावा सब कर रहे थे, 
फसलों का,मैदानों का,
जंगलो का,पहाड़ों का,नदियों का। 
खुला चारागाह है वो।
जो किसी की जागीर नही होता। 
जानवरों के सारे झुंड,
संघर्ष करें या सहयोग करें।
उसी चारागाह में रहना है। 
वो लड़ें-झगड़े या मित्रवत रहें।
खेल चलता रहेगा चूहे बिल्ली का।
जो जीतेगा वो भोगेगा।
जो हारेगा वो ताकेगा। 
मौका सबका आएगा।

गहराइयां नापनी हो गर

गहराइयां नापनी हो गर अपनी
तो बना लो तन्हाइयों को अपना।
बन्द आंखों से मत देखो सपना,
भर लो उजालों से घर अपना।
तारे मत गिनो आसमान के,
समेट लो जुगनुओं का कोई जत्था।
राह मत देखो किसी और कि,
रमा लो खुद ही में मन अपना।
उदासियाँ तो लाज़िमी हैं,
रहे उनसे ज्यादा घना ख़ुशियों का गुच्छा।

दिन में तो सब रौशन हैं,
तुम अंधली रातों में भी जलना।
मत डालना किसी पर भार रिश्ते का
राह में जो भी मिले मान लेना उसे ही अपना।
शिकायतें किसी से,फरेब हैं खुद से,
देखो कौन समझता है बिन कहे हाल मन का।
न हो जब कोई देखने वाला,
पूछ लेना खुद से ही हाल अपना।
चुभ जाए गर बात कभी कोई,
बढ़ जाना आगे मन मे मत रखना।

🍁【अविनाश कुमार तिवारी】

सोमवार, 9 मार्च 2020

"अब खेत तन्हा हो जाते हैं"

अब खेत तन्हा हो जाते हैं।
फसल कट जाने के बाद।

अब गायब है 
उनमें दौड़ती-खेलती 
बच्चो की टोली।

बचती है उनके पास
बस चूहों के पैरो की थाप।
वो पैर अब उनपर नही पड़ते,
जो खरपतवार रौंद कर 
उन्हें सपाट बना जाते थे।

शोक करते,
झींगुरों की आवाज तो है।
शोर गायब है,
उनमें खेलते नौनिहालों का।

तन्हाई का ये सिलसिला,
टूट जाता है।
जब बन जाती हैं,
उनमें इमारतें।
और खत्म हो जाता है
अस्तित्व ही खेतो का।

©अविकाव्य

रविवार, 8 मार्च 2020

अंतिम कविता

 
मैं अंतिम कविता तब लिखूंगा!
जब उंगलियों  में लेखनी पकड़ने का 
अंतिम सामर्थ्य  बचा होगा। 

मैं  अंतिम काव्यबन्ध तब बुनूँगा!
जब मस्तिष्क में कल्पना गढ़ने की 
अंतिम क्षमता  बची होगी। 

मेरी अंतिम कविता तब निर्मित होगी!
जब सुख-दुःख ,करुणा -निष्ठुरता,
संयम-क्रोध,प्रेम-घृणा,अलगाव-आकर्षण,
आदि भावों के अस्थि विसर्जन का 
अवसर होगा।
 

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...