औरो के सपने उनकी उम्मीदें,
अपने अन्दर जीता है।
उसने क्या चाहा था अपने लिए,
क्या मायने थे उसके लिए जिन्दगी के,
जैसे भूल गया।
जिन्दगी भाग रही है अपनी रफ़्तार से,
और धीरे धीरे वो खुद को खोता जा रहा है।
कभी जरूरते बस आर्थिक है,
बाकि सब का दर्जा दोयम है।
उसे उसके लिए पापा की चाहत पूरी करनी है,
उसे पूरा करना है जो माँ ने सोचा है।
उसका भाई ,उसकी बहन उसे जहाँ देखना चाहते हैं,
उसे वहां पहुचना है। .
शायद चिल्लाता भी है कोई अन्दर से कई दफे,
कभी दबती है चींखे, कभी उभर आती हैं.
हाँ लेकिन एक आवाज जरुर आती है.
उसे सुनकर चलकर देखो कभी,
खुद के बुने सपनो को जीकर देखो कभी।
बहुत ही खुब ����
जवाब देंहटाएंthanku bhai
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