"इस
बहुरंगिनी दुनिया में
भांति भांति के लोग मिले
कुछ पत्तियों से कोमल थे
जो मोहित हरपल करते थे
जब पतझड़ आया टूट गये
हा विकट समय में छुट गये
कुछ शाखों से मजबूत मिले
हर मौसम डटं के साथ खड़े
हाँ उनके कदम भी ठिटक गये
कुल्हाड़ी के प्रहार से टूट गये
हाँ जड़ से कुछ सख्त मिले
कठोरता से आलब्ध मिले
वो जीवन भर को जुड़ गये
हर कदम साथ को लब्ध मिले
इस बहुरंगिनी दुनिया में
भांति भांति के लोग मिले "
बहुरंगिनी दुनिया में
भांति भांति के लोग मिले
कुछ पत्तियों से कोमल थे
जो मोहित हरपल करते थे
जब पतझड़ आया टूट गये
हा विकट समय में छुट गये
कुछ शाखों से मजबूत मिले
हर मौसम डटं के साथ खड़े
हाँ उनके कदम भी ठिटक गये
कुल्हाड़ी के प्रहार से टूट गये
हाँ जड़ से कुछ सख्त मिले
कठोरता से आलब्ध मिले
वो जीवन भर को जुड़ गये
हर कदम साथ को लब्ध मिले
इस बहुरंगिनी दुनिया में
भांति भांति के लोग मिले "
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