सोमवार, 30 मई 2022

मैं लिखूँगा

"मैं लिखूँगा रुष्ठ कविताएँ।
स्वयँ लिखूँगा,
स्वयं के विरुद्ध कविताएँ।

अब मुँह फेरकर बैठीं
बहुत चहकने वाली
छंदमुक्त कविताएँ।

समय से आगे बढ़ चुकीं
कल्पना में उड़ती
कालमुक्त कविताएँ।

बनती और बिगड़ती
अनवरत सृजित होतीं
सदा आवृत्त कविताएँ

इनसे ही चलित हूँ मैं
हैं मुझमें समाहित,
अंनत कविताएँ।"

- अविनाश कुमार तिवारी

सुनो जरा ठहरो शब्द जुलाहे

सुनो जरा ठहरो शब्द जुलाहे
सुनी क्या तुमने मन की आहें

तुम पीड़ाओं को बुन लो
संवेदनाओं की चुन लो
पुकारें तुमको अनसुनी चाहें।
छोड़ो शब्दों के रेशो
बस भावों के भरोसे

सुनो जरा  ठहरो शब्द जुलाहे
भूल जाओ तुम 
शब्दों का ये चोला,
सुंदर है या नही।
देखना बस इतना कि
स्वछंद भावों का,
गहन समुंदर है या नही।

सुनो जरा ठहरो शब्द जुलाहे
बुन लो कपड़ा कोई
अपने अजीब से सपनों का।
ठिठक कर बैठे हैं जो
उन अंतर्मुखी मसलों का।
उतारों शब्दों में गहन आभावों को,
सी लो ऐसे ही बीते घावों को।

सुनो जरा ठहरो शब्द जुलाहे
कह नही पाया तुमसे कितनी ही बातें।
जब नही बुनते हो तुम शब्दों के सादे धागे
रंगों की परतों में छिप जाती हैं खरी बातें।

सुनो जरा ठहरो शब्द जुलाहे
जो हों सपाट,सीधे,सहज,सरल से
बुनो शब्द रेशे 
जो हों मासूम भावों की फसल से।

गुरुवार, 19 मई 2022

तुम श्वेताभ सी होकर आना


तुम श्वेताभ सी होकर आना।
किंतु मैं तुम्हे पाऊँगा,
बहुरंगिनी सी। 
मैं करूँगा संवाद,
तुम्हारी आत्मा के ढंगो से। 
तुम्हारे सादे आँसुओं में।
रंग-बिरंगी तितलियों से,
स्वप्न रंगों को टटोलूँगा। 

मैं करूँगा प्रयत्न समझने का,
भावुक होकर कही गईं
,तुम्हारी बातों के पीछे छिपे 
मूल अर्थों को। 

मैं नही बनाऊंगा 
तुम्हारे सम्बंध में कोई पूर्वधारणा 
मै सोचूँगा स्वयं को 
तुम्हारे स्थान पर रखकर।

"तुम्हारे गुणों से पूर्व 
मैं बनूँगा तुम्हारे दोषों का प्रेमी।"

" वो भावों का भूखा था"

वो भावों का भूखा था।

शांत करना चाहता था,
लेखनी की पिपासा।
करके भावों का ग्राह।
मंद नहीं पड़ा कभी भी,
भाव क्षुधा का ताप।
असीम रही उसकी भूख,
बढ़ती रही प्यास।

उत्सव,उल्लास,शोक,विलाप
अपूर्ण ही थे,इन सब के भाव।
असंतुष्ट रहा हर क्षण
ढूंढ़ता रहा भावों की थाह।

सोमवार, 16 मई 2022

"तुम ये कर सकते हो"

कुछ सुषुप्त संभावनाएं
सबके भीतर पलतीं रहतीं हैं।

हम अक्सर अंकित करते हैं उनपर;
अतिरिक्त सुषुप्तता।
ये कहकर की तुमसे नही हो पाएगा।

अपितु हम दे सकते हैं उनको;
सकारात्मक उद्दीपन ।
ये कहकर की तुम ये कर सकते हो।

"तुम ये कर सकते हो"  💙

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...