सोमवार, 3 जुलाई 2017

स्नेह बेच लेता हूँ

चलो आज स्नेह बेच लेता हूँ,
बेशकीमती हैं जो वो प्रेम बेच लेता हूँ।
तुम मेरे अपनत्व को तौलना,
मै तुम्हारा मोह माप लेता हूँ।
तुम सुनना मेरी बातो को मन लगाकर,
बदले में हर पल मै तुम्हे सोच लेता हूँ।
प्रेम को स्वार्थ से ,स्वार्थ को प्रेम से खरीद लेता हूँ,

जो तुम्हे भाता हो बस वो ही कह कर 
सच को अपने जहन में ही भींच लेता हूँ।
दिखावे  के बंधन में तुम्हे बांधकर,
संबंध बेमन का तुमसे माँग लेता हूँ।
जब कोई न मिले तब मुझे पुकारना,
मै खाली समय तुम संग बीता लेता हूँ।

छोड़ो बाते निःस्वार्थाता कि,
मत करना सच्चे प्यार की खोंखली बातेें,
फरेब है सब,झूठा ये सारा अफसाना है,
न रहा कोई रांझणा,न कोई दीवाना है।
हो जाओ मतलबी,
आंक लो कीमत संबंधो कि,
करो सौदेबाजी,
भावनाओ और सपनो की।

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