शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

मैं जीवन को लिखता हूँ

मै जीवन को लिखता हूँ,
पल - पल उभरते भावों पर,
स्याही फेरता हूँ।

डुबो दे देता हूँ नीले रंग में,
कटु अनुभवों को।

उकेर देता हूँ कागज पर,
सुनहरे एहसासों को।

बचपन की ,
शरारती यादों को लिखता हूँ।
किशोर मन की,
उलझी हुई बातो को लिखता हूँ।

युवामन के उल्लासपूर्ण,
उन्मादों को लिखता हूँ।

सकुचाती,अनबुझी,
फरियादों को लिखता हूँ।

हाँ मैं मानव मन की,
भावभीनी बातो को लिखता हूँ।

सीखता हु इन अनुभवों से,
और इनकी समझाईस को,
लिखता हूँ।

हाँ मैं उस जीवन को लिखता हूँ,
जिस जीवन की जीता हूँ।

शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

अंतर्मन का द्वन्द

उद्योग या  विध्वंस,
इसी अंतर्मन में समाहित है,
 बिखराव और प्रबंध।
नवसृजन या अपकर्ष,
विफलता या सफलता,
सभी का वाहक है ,
ये  अंतर्मन के द्वन्द।
सकारात्मक या नकारात्मक,
उत्साही या हतोत्साही
सभी  भावो के प्रभावो का,
उपकर्ता या अपकर्ता है,
ये स्वयं का आत्मद्वन्द।
यही दाता है,प्रदाता है,
यही छीण  कर जाता है,
सभी प्राप्तियों का,अभिकर्ता है,
स्वयं का आत्म-प्रबंध।

बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

काली रातों के अनकहे अल्फाज

बेसब्र सा खालीपन है,                    
डाल से गिरने को बेचैन,
सूखा पत्ता हो जैसे।
विध्वंस की जमीन पे,
बिखरे ख्वाबों की नमी ,
सींच रही हो हृदय को जैसे।
तपता सा है कोई रंज है,
बेरंग सा प्रलाप लिऐ।
धुंधली सी एक मंजिल का,
टूटी-फूटी पगडडियों से बना,
अंधला रास्ता हो जैसे।

"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"

तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...