सोमवार, 6 जुलाई 2015

मनोरथ

"मन है रथ का अश्व
भ्रम में डूबा अदिश सा
विचरता है
सारथी तो आत्म है
जो दिशा ज्ञान उसे देता है
है मनोरथी वो
कर्मो के बीज बोता है
भावनाओ को थाम
उनसंग बहने से
रोकता है
मन स्वक्षंद सा हर ओर
आशक्त हो जाता है
आत्म इसे सही राह
बताता है
मन युद्ध का बीज बोता है
आत्म विजयश्री से
अंत करवाता है"
हाँ मनोरथी ये जीवन को
सार्थक बनाता है"

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