"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं. बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेंगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है"
रविवार, 30 अप्रैल 2017
उत्तर पथिक का चुनौतियों को
सोमवार, 10 अप्रैल 2017
तुम हो
उतर कर मन की गहराइयों में,
जिस लम्हे में,
मै उलझा था, वो लम्हा तुम हो।
जिसको हर छण देखकर,
हर पल सोचकर,
जिसमें असीमित डूब कर,
अतृप्त था।
वो नजारा,
वो किस्सा,
वो सागर तुम हो।
जिसको कभी समझ न पाया।
जिसको उतार न पाया शब्दों में।
वो धुंधला,अलबेला,अनकहा सा,
फ़साना तुम हो।
जो निर्बन्ध है मुझसे,
मैं बंधा हुआ हूँ जिससे बेकस,
वो बंधन तुम हो।
जो अकारण मुझपे हँसती है,
वो अट्ठाहस तुम हो।
हर छोर से मुझे उलझाई हुई जो,
मरीचिका है न वो तुम हो।
मेरा अधूरा सपना,अधूरा किस्सा,बेजोड़ हिस्सा,
शायद कोई अपना तुम ही हो हाँ तुम ही तो हो।
शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017
औरो के सपने
"नई नस्लों का जीवन धन्य कर दो"
तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...
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एक शीशमहल में चिरनिद्रा में। देख रहा था स्वप्न वो। सीधी और सुंदर राह में, पंक्तिबद्ध खड़े वृक्षों को। हर डाल पर बैठे पंछियों को। उनके सुनहरे ...
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(पीड़ाएँ ) पीड़ाएँ कभी लुप्त नही होतीं उनकी अनदेखी कर दी जाती है। * (वेदनाएँ) वेदनाएँ कभी मृत नही होतीं हमारे आँसू संकीर्ण हो जाते हैं। ** (सं...
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तितलियों में थोड़ी और रंगत भर दो। जुगनुओं में थोड़ी और चमक भर दो। फूलों को ज्यादा खुशबुएँ दे दो। हिमानियों को अधिक सुदृढ़ कर दो। जल धाराओं को अ...