"तुम मुझे देखते हो नजरो से ,
अलग -अलग,
निष्कर्ष निकालते हो,
अलग- अलग,
बाते करते हो अलग- अलग,
मुझसे कहते भी हो अलग-अलग,
किन्तु मेरा स्व ही मेरी कहता है.
वही चुनता है उन बातो को,
जो मुझे माननी है .
वही गढ़ता है मेरे व्यक्तित्व को.
देता है रौशनी वही मेरे अस्तित्व को.
मेरा स्व ही मुझे बनाता है,
जीवन को जीना सिखाता है.
सबकी बाते बेमानी है,
आत्म जो कहता है वही मैंने मानी है. "
अलग -अलग,
निष्कर्ष निकालते हो,
अलग- अलग,
बाते करते हो अलग- अलग,
मुझसे कहते भी हो अलग-अलग,
किन्तु मेरा स्व ही मेरी कहता है.
वही चुनता है उन बातो को,
जो मुझे माननी है .
वही गढ़ता है मेरे व्यक्तित्व को.
देता है रौशनी वही मेरे अस्तित्व को.
मेरा स्व ही मुझे बनाता है,
जीवन को जीना सिखाता है.
सबकी बाते बेमानी है,
आत्म जो कहता है वही मैंने मानी है. "